प्यारी हिना, एक नाजुक कली की तरह, धार्मिकता के बगीचे में पली-बढ़ी। उसका जीवन प्रार्थनाओं और चिंतन में बीता, हर दिन ईश्वर के करीब आने की चाह में।
एक दिन, हिना को एक गरीब गाँव में भेजा गया, जहाँ उसे जरूरतमंदों की सेवा करनी थी। वहाँ, उसने दुख और पीड़ा देखी, और उसका दिल करुणा से भर गया।
हिना ने गाँव के लोगों की मदद करने के लिए कड़ी मेहनत की। उसने बीमारों की देखभाल की, गरीबों को खाना खिलाया, और बच्चों को पढ़ाया।
गाँव के लोग हिना से प्यार करते थे। वे उसे एक संत मानते थे, और उसकी सलाह और मार्गदर्शन के लिए उसके पास आते थे।
लेकिन हिना जानती थी कि वह एक साधारण इंसान है। वह कमजोरियों और खामियों से भरी हुई थी।
एक रात, हिना को एक सपना आया। सपने में, उसने ईश्वर को देखा, जिसने उससे कहा, “हिना, तुम मेरी प्यारी बेटी हो। मैंने तुम्हें दुनिया में प्यार और दया फैलाने के लिए भेजा है।”
हिना जाग गई और उसका दिल खुशी से भर गया। वह जानती थी कि उसे अपना जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित करना है।
हिना ने गाँव के लोगों की मदद करना जारी रखा, और उसने कभी हार नहीं मानी। उसने जान लिया था कि सच्ची खुशी दूसरों को खुश करने में है।









