यह कहानी एक युवा नन, मिज़ुकी के बारे में है, जो अपने धार्मिक जीवन और कामुक इच्छाओं के बीच फंसी हुई है।
वह एक सख्त धार्मिक वातावरण में पली-बढ़ी है, लेकिन वह अपनी कामुकता को दबा नहीं पाती है।
जैसे-जैसे वह बड़ी होती है, उसकी इच्छाएं और भी मजबूत होती जाती हैं, और वह अंततः अपने संयम को खो देती है।
वह एक ऐसे आदमी के साथ संबंध बनाती है जो उसे अपनी कामुकता का पता लगाने में मदद करता है।
यह संबंध उसे अपनी धार्मिक मान्यताओं पर सवाल उठाने के लिए मजबूर करता है।
उसे यह तय करना होगा कि वह अपने धार्मिक जीवन को जारी रखना चाहती है या अपनी कामुक इच्छाओं का पालन करना चाहती है।
यह कहानी कामुकता, धार्मिकता और आत्म-खोज के बीच संघर्ष की एक कहानी है।
यह हमें याद दिलाती है कि हम सभी मनुष्य हैं और हमारी अपनी इच्छाएं और ज़रूरतें हैं।
यह हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपनी कामुकता को गले लगाने और अपने सच्चे स्वरूप को खोजने से डरना नहीं चाहिए।









