हिना, एक खूबसूरत युवती, वसंत ऋतु के अंत में एक शांत बगीचे में बैठी है।
सूर्य की सुनहरी किरणें उसके चेहरे को छू रही हैं, जिससे उसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है।
उसकी आँखें चमक रही हैं, और उसके होंठ हल्के से खुले हैं, मानो वह कोई मधुर गीत गुनगुना रही हो।
वह प्रकृति के साथ एकाकार हो गई है, और उसकी उपस्थिति बगीचे को और भी जीवंत बना रही है।
उसके आसपास के फूल खिल रहे हैं, और हवा में उनकी मीठी खुशबू फैली हुई है।
हिना की सुंदरता वसंत ऋतु की तरह ही ताज़ा और जीवंत है।
उसकी कोमल त्वचा और मोहक मुस्कान किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकती है।
वह एक देवी की तरह दिखती है, जो अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आई है।
हिना की उपस्थिति से बगीचे में एक जादुई माहौल बन गया है।
ऐसा लगता है कि समय ठहर गया है, और हर कोई उसकी सुंदरता को निहारने में खो गया है।









